कोजगरा पावनि मिथलाक बहुत महत्वपूर्ण पावनि अछि आ अन्यान्य पावनि जकाँ अहूमे धार्मिक-भावना आ पौराणिक कथा समाविष्ट अछि ।कहल जाइछ जेपौराणिक कालमे देवता-पितरके
बीचमे घोल-घमर्थन भेलै जेश्रद्धा-भावना रुपी हविषा किनका पहिने चढाएलजयवाक- चाही ?
- कस्मै देवाय
हविषाविधेम ! बहुते चिन्तन मनन
आ विश्लेषण के पश्चात ई निर्णय भेल जे
के सबसबेसी जागल छथि ?
- को जाग्रात?
संस्कृत भाषाकको जाग्रात्क मैथिल रुप
थिक - कोजगरा ।
- विष्णु ! विष्णु
सवसबेसी
जाग्रीत, छथि
।हुनकेजागृति एवं सक्रियतास'
विश्वके परिपालाण
करैत छथि । तए ई प्रथम हविषा
हुनके देल जएबाक चाही ।
ई मिथिलामे पवन पावन पावनिक
रुपमे, कोजाग्रा पूर्णिमे परम्परित भेल
अछि । मिथिलाक राजधानी
जनकपुरक विश्वप्रसिद्धजानकी मन्दिरमे ई पर्व
बहुत धुमधामस' मनाएल जाइछ । हँ, एहि दिनमे ओतए भगवान रामके, पाहुनके रुपमे विशेषश्रद्धा भावे पूजल जाएत अछि ।
एकर पाछूक मूल
भावना एवं मनोविज्ञान ई देखल गेलअछि जे राम, विष्णु अवतार छथि आ ई
लोक रामकेदूल्हा रामके रुपमे विशेष रुपस'
पुजैत अछि । वर
रामकेसासुर भरस' मिथिलामे विष्णुरुपमे पुजल जएवाक क्रमकेव्राम्हण, कायस्थ आदि जातिसब एकरा
नवविवाहितदुलहाके पूजबाक जातिय प्रथाक विकास कए,
रुढिगत रुपमेमनारहल छथि ।
विशेष
महत्वपूर्ण बात ई अछि जे हमरा सबके चिन्तन-मननआ खोजी-नीति करबाक चाही जे
कोजागराक सङे, मिथिलामे जे जतेक पर्व,
उत्सव, विधि वा लोकपरम्परादि जे अछि, ओहिमे निमनस' डूबि, हथोडने-बटोरनेबहुतरास तत्व दर्शन मूल्य-मान्यता
आ वैज्ञानिक एवंसंस्कारगत वैशिष्ट सब भेटबे करैछ !
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