मिथला में तीला-सक्रैत पावैन

आयु आरोग्य संतति संपत्ति रूप गुण स्वर्ग दैयवला तीला-सक्रैत पावैन सूर्य जहिया मकर राशि में प्रवेश करै छथि मनाओल जाई अछि तें अहि पावैनक एकटा नाम मकर संक्रांति सेहो अछि।मकर संक्रांति सौं सूर्यदेव उत्तरायन होई छथि एकतीलक जार कम होमऽ लगैये। संपूर्ण मिथिला में घरे-घर स्नान-दान पूजा-पाठ लाई-चुरलाई-तिलबा ब्राह्मण भोजन संगे संक्रांति मनाओल जाई अछि।आई भगवान भगवती के चुरलाई तिलबा चढाओल जाई छनि।
मैथिल मिथिलानि अहिलोक परलोकक लेल चाउर तेबखा दालि तिलबा चुरलाई ऊनीवस्त्र कंबल आदि दान करई छथि। बहूत लोक गोदान स्वर्ण दान भूदान सेहो करै छथि जिनका जेहन विभव जतेक श्रद्धा।दानपूजा केर बाद अपना सौं छोट के तील-चाऊर खाईके लेल सेहो देल जाई अछि तील-चाऊर दैत काल पूछल जाई छैक-
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तील-चाऊर बहब" तखन तील-चाऊर लेनिहार कहैत छथिन्ह- "हाँ बहब"
तदुपरांत पूर्व सौं नोतल ब्राह्मण के साग्रह बजा ठाँऊ पीढी दय कतौह खिचड़ी कतौह चूड़ा-दही परैस सप्रेम भोजन दक्षिणा सहित कराओल जाई छनि।
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खिचड़ी के चैर यार घी पापड़ दही अचार" अहि सब यार संगे तीला-सक्रैत पावैन मनाओल जाई अछि।
जाहि मैथिल बेटीक अहिसाल विवाह भेल रहै छनि हुनका सासुर सौं आई तिलबा-चुरलाई जारक सामग्री जेना रजाई ऊनीवस्त्र आदि भार अबै छनि नवविवाहिताक माँ के लेल सेहो सीरक आवै छनि।आई सौं सालभैर तक नवविवाहिता गौऊर जे सासुरे सौं आयल रहै छनि पूजै छथि फेर अगिला तीला-सक्रैत दिन भसाओल जाई छनि तहू में फेर सासुर सौं भार आबै छनि।साँझपावैन सेहो आईए सौं होई छैक।
आईए सौं मैथिल कुमारि कन्या तुसारी माघ मास धरि सेहो पूजै छथि।एकर निस्तार जाहि वरष विवाह होई छनि ताहिवेर करैत छथि।
सब नीक योग मिलके आजुक दिन बड पवित्र अछि तें सब कियो भगवान-भगवतीक हृदयंगम कय सत्कर्म करी निषिद्ध कर्मक त्याग करी।

मिथिला में पावैं होइ  और फकरा  नै  से कोना हेतै : -

जाड़ बड़ जाड़, गोंसाई बड़ पापी ।
धिपले खिच्चैर, खूआ गय काकी ।
ऊँचगर घूर पर, गदौस एक ढाकी ।
नहा  सोना के भोरे,  धधरा तापी ।

                    खीच्चैर के छय, चारू भजाड़ ।
                    दही पापड़ संग घी आ अंचार ।
                    पाबैन  निक, ई  जाने  संसार ।
                    ताक लगेने छथि सब खौकार ।

घाट तरक ओ चिल्लौर कहनाई ।
धियापूता के नहाई लै ठकनाई ।
घूरे लग खेनाई तिलबा आ लाई ।
केहन  अपूर्व  ओ दीन  बूझाई ?

                  नव  विवाहितक  लेल जराउर ।
                  ओढना बिछौना भार दौर सब ।
                  तिलकोरक संग तरल खम्हौर ।
                  यैह ई पावनि कहब की और 

 तिला संक्रांतिक हार्दिक शूभकामना ।

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स्वर्ग सौं सुनर मिथिला धाम!
जतय विवाह केलथि श्रीराम!

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