"चौठचन्द्र" (चौरचन, चौठी चान)

समस्त मिथिला के सपरिवार "चौठचन्द्र", (चौरचन, चौठी चान) के हार्दिक शुभकामना आ बधाई ! 
भादव मासक शुक्ल पक्षक चतुर्थी (चौठ) तिथिमे साँझखन चौठचन्द्रक पूजा होइत अछि ,जकरा लोक चौरचन पाबनि सेहो कहै छथि।

पुराण मे प्रसिद्ध अछि, जे चन्द्रमा के अहि दिन कलंक लागल छलनि, ताहि कारण अहि समय मे चन्द्रमाक दर्शन के मनाही छैक। मान्यता अछि, जे एहि समयक चन्द्रमाक दर्शन करबापर कलंक लगैत अछि। मिथिला में अकर निवारण हेतु रोहिणी सहित चतुर्थी चन्द्रक पूजा कायल जायत अछि !
स्कन्द पुराण के अनुसार एक बेर भगवान कृष्ण के मिथ्या कलंक लागल छल,लेकिन ओ अहि वाक्य सअ कलंक मुक्त भेलाह ! 


एकटा अन्य कथा के अनुसार, एक बेर गणेश भगवान के देखि चन्द्रमा हँसि देलखिन्ह । एहिपर गणेशजी चन्द्रमा के श्राप देलखिन्ह कि, जे अहाँ के देखत ओ कलंकित होयत। तखन चन्द्रमा भादव शुक्ल चतुर्थीमे गणेशक पूजा केलनि। ओ प्रसन्न भऽ कहलखिन्ह - अहाँ निष्पाप छी। जे व्यक्ति भादव शुक्ल चतुर्थी के अहाँक पूजा कऽ एही  … 


‘सिंह: प्रसेनमवधीत्, सिंहो जाम्बवता हत:।
सुकुमारक! मा रोदी:, तव एष स्यमन्तक:।।’ 

… मन्त्रसँ अहाँक दर्शन करत ,तकरा मिथ्या कलंक नइ  लगतै, आ ओकर सब  मनोरथ पुरतै। चन्द्रमा के दर्शन के समय हाथ में फल अवश्य राखी और मंत्र के साथ दर्शन करी !
मिथिलाक अन्य पाबनि जकाँ अहु में खीर, पूरी, मधुर, ठकुआ, पिरिकिया, मालपुआ, दही आदि के व्यवस्था रहैत अछि ! 
हम मिथिलावासी के तरफ स  चौरचन पावैन  के हार्दिक शुभकामना !

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