Vidaypati - तीलक लगौने धनुष कान्ह पर टूटा बालक ठाढ़ छै

तिलक लगोउने धनुष कांह पर दुटा बालक ठाड़ छै
घुमी रहल छै जनकबाग में फूल तोरैठ लेल ठाड़ छै
श्याम रंग जे सबसँ सुन्दर से सबहक सरदार छै 
नाम पुछई छै राम कहै छै अवध के राजकुमार छै
धनुष प्रतिज्ञा कैल जनक जी के पूरा कहनिहार छै 
देश - देश के नृप आबी क  धनैत अपन कघर छै 
कियो वीर नै बूझी परै जछी तं जनक के धिक्कार छै 
ऐतबा सुनीत ही बजला लक्ष्मण ई कोन कठिन पहार छै
बूझबा मे नही ऐल्हीन जनक के एही ठाम शेषावगर छै
चुटकी में नहीं ऐलकिन जनक के एही ठाम शेषावगर छै
चुटकी सँ मली देब धनुष के ई त बर निस्सार छै
उठी क विश्वामित्र तखन सँ रा के करैत ठाड़ छै
जखन नहीं राम उथोल्हीं धनुष मच गेल जय -जय कार छै
धन्य राम छठी धन्य लखनजी जनैत भरी संसार छै
साजी सखी के संग सियाजी हाथ लेने जयमाल छै
तिलक लगौने धनुष कान्ह पर दुटा बालक ठाड़ छै !
                                                                                        ---- विद्यापति ठाकुर 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें